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श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीरज-रसाल-लीला
(श्लोक)
अर्थ- जाकौ एक बार मात्र उच्चारन गोकुल पति श्रीकृष्ण कूँ तत्क्षण आकर्षित करिबेवारौ है, जासौं प्रेमिन के ताईं अर्थ, धर्मादि समस्त पुरुषार्थन में तुच्छता कौ स्फुरण हैवे लगै है, एवं जा नाम सौं अंकित मंत्रराज (द्वाद्वशाक्षर-मंत्र) के जपिवे में माधव श्रीकृष्ण हूँ सदा-सर्वदा प्रीति-पूर्वक संलग्न रहैं हैं। वे ही अत्युद्भुत द्वै वर्ण ‘राधा’ मेरे हृदय में स्फुरित होयँ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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