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श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीरासपञ्चाध्यायी लीला(श्लोक)
(तुक)
अर्थ- हे रमण! अघनाशन, प्रणतन की कामना पूरी करिबे वारे, लक्ष्मीजी तें पूजित, पृथ्वी कूँ सोभायमान करिबेवारे, आपत्तिकाल में ध्यानयोग्य, सुख करिबेवारे अपने चरन-कमलन कूँ हमारे वक्षस्थल पै धारन करौ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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