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श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीगोपदेवी-लीला
(श्लोक)
अर्थ- जा प्रकार ब्रजमनि प्रियतम उनकौ आराधन करैं हैं, वाही प्रकार वेहू प्रकृष्ट अनुराग के उल्लास सौं परिपूर्ण है कैं अपने प्रियतम कौ आराधन करें हैं। गोबिंद के संग सख्य-भाव-प्राप्ति के ताईं उत्सुक जन हू जिन के आश्रय सौं आराधना करि कैं परम-सिद्धि कूँ प्राप्त होयँ हैं, जिन की सर्वोच्च उपलब्धि परमसाध्यरूपा अद्वितीय रसमयी स्थिति है, वे ही श्रीराधानाम्नी श्रुति-मौलि-शेखर-लता मोपै प्रसन्न होयँ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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