विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दत्रयोदश अध्याय
तत्क्षेत्रं यच्च यादृक्च यद्विकारि यतश्च यत्। वह क्षेत्र जैसा है और जिन विकारों वाला है तथा जिस कारण से हुआ है तथा वह क्षेत्रज्ञ भी जो है और जिस प्रभाववाला है, वह सब मुझसे संक्षेप में सुन। अर्थात् क्षेत्र विकार वाला है, किसी कारण से हुआ है, जबकि क्षेत्रज्ञ केवल प्रभाव वाला है। मैं ही कहता हूँ- ऐसी बात नहीं है, ऋषि भी कहते हैं- |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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