विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दद्वितीय अध्याय
इन कुरीतियों के कथानक इतिहास में भ्रे पड़े हैं। हमीरपुर जिले में पचास-साथ परिवार कुलीन क्षत्रिय थे। आज वे सब मुसलमान हैं। न उन पर तोप का हमला हुआ, न तलवार का। हुआ क्या? अर्द्धरात्रि में दो-एक मौलवी उस गाँव के एकमात्र कुएँ के समीप छिप गये कि कर्मकाण्डी ब्राह्मण सबसे पहले यहाँ स्नान करने आयेगा। जहाँ वे आये तो उन्हें पकड़ लिया, उनका मुँह बन्द कर दिया। उनके सामने उन्होंने कुएँ से पानी निकाला, मुँह लगाकर पिया और बचा हुआ पानी कुएँ में डाल दिया। रोटी का एक टुकड़ा भी डाल दिया। पण्डित जी देखते ही रह गये, विवश थे। तत्पश्चात् पण्डित जी को भी साथ लेकर वे चले गये। अपने घर में उन्हें बन्द कर दिया। दूसरे दिन उन्होंने हाथ जोड़कर पण्डित जी से भोजन के लिये निवेदन किया तो वे बिगड़ पड़े- “अरे, तुम यवन हो मैं ब्राह्मण, भला कैसे खा सकता हूँ?” उन्होंने कहा- “महाराज! हमें आप-जैसे विचारवान् लोगों की बड़ी आवश्यकता है। क्षमा करें।” पण्डित जी को छोड़ दिया गया।
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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