विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दद्वितीय अध्यायनैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः। अर्जुन! इस आत्मा को शस्त्रादि नहीं काटते, अग्नि इसे जला नहीं सकती, जल इसे गीला नहीं कर सकता और न वायु इसे सुखा ही सकता है। |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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