विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दएकादश अध्याय
श्रीभगवानुवाच पार्थ! मेरे सैकड़ों तथा हजारों नाना प्रकार के और नाना वर्ण तथा आकृतिवाले दिव्य स्वरूप को देख। पश्यादित्या न्वसून्रुद्रानश्विनौ मरुतस्तथा। हे भारत! अदिति के बारह पुत्रों, आठ वसुओं, एकादश रुद्रों, दोनों अश्विनीकुमारों और उनचास मरुद्गणों को देख तथा अन्य बहुत से पहले तुम्हारे द्वारा कभी न देखे हुए आश्चर्यमय रूपों को देख।
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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