यथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्ददशम अध्यायपवनः पवतामस्मि रामः शस्त्रभृतामहम्। पवित्र करने वालों में मैं वायु हूँ, शस्त्रधारियों में राम हूँ। ‘रमन्ते योगिनः यस्मिन स रामः।’ योगी किसमें रमण करते हैं? अनुभव में। ईश्वर इष्टरूप में जो निर्देशन देता है, योगी उसमें रमण करते हैं। उस जागृति का नाम राम है और वह जागृति मैं हूँ। मछलियों में मगर तथा नदियों में गंगा मैं हूँ। |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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