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श्रीगीतगोविन्दम् -श्रील जयदेव गोस्वामी
सप्तम: सर्ग:
नागर-नारायण:
पंचदश: सन्दर्भ
15. गीतम्
पद्यानुवाद बालबोधिनी- श्रीराधा अपनी सखी से श्रीकृष्ण की श्रृंगार-क्रीड़ा का विवरण करती हुई कहती हैं उन्होंने केवल उसके ललाट पर ही तिलक रचना की हो, केवल ऐसा ही नहीं है, अपितु कनेर पुष्पों से उसके केशों की भी सज्जा की है। उसके बाल इस प्रकार काले, स्निग्ध, घने एवं घुँघराले हैं, मानो कोई सजल मेघों का समूह हो। वह केशपाश ऐसा लगता है, मानो कामदेवरूपी मृग के निर्भय घूमने के लिए घना कानन हो। इस केशपाश के अवलोकन मात्र से ही युवकों का मन चञ्चल हो जाता है। श्रीहरि के द्वारा रमणी के केशपाश में सुसज्जित कुरुवक के पुष्प विद्युत की अतिशय छटा को धारण कर रहे हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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