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गीता प्रबोधनी -स्वामी रामसुखदास
बारहवाँ अध्याय
यस्मान्नोद्विजते लोको लोकान्नोद्विजते च य: । व्याख्या- भगवान ने सिवाय अन्य की सत्ता मानने से ही उद्वेग, ईर्ष्या, भय आदि होते हैं। भक्त की दृष्टि में एक भगवान के सिवाय अन्य कोई सत्ता है ही नहीं, फिर वह किससे उद्वेग, ईर्ष्या, भय आदि करे और क्यों करे? |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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