गीता प्रबोधनी -स्वामी रामसुखदास
दसवाँ अध्याय
अर्जुन उवाच व्याख्या- निगुर्ण-निराकार के लिये ‘परं ब्रह्म’, सगुण-निराकार के लिये ‘परं धाम’ और सगुण-साकार के लिये ‘पवित्रं परमं भगवान’ पदों का प्रयोग करके अर्जुन भगवान से मानो यह कहते हैं कि समग्र परमात्मा आप ही हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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