गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण
अध्याय-6
आत्म-संयम-योग
आत्म-संयम-योग
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पहले के किए हुए अभ्यास से विवश होकर
- ↑ पार कर जाना
- ↑ ब्रह्म दो तरह का माना गया है; एक तो आसक्ति युक्त फल श्रुतियों का सगुण ब्रह्म; दूसरा अनासक्त निर्गुण ब्रह्म; यह निर्गुण ब्रह्म ही सगुण ब्रह्म से परे होना कहा गया है।
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