काश्यश्च परमेष्वास: शिखण्डी च महारथ: ।
धृष्टद्युम्नो विराटश्च सात्यकिश्चापराजित: ॥17॥
द्रुपदो द्रौपदेयाश्चे सर्वश: पृथिवीपते ।
सौभद्रश्च महाबाहु: शङ्खन्धाध्मु: पृथक्पृथक् ॥18॥
अनुवाद- हे धरणीपते धृतराष्ट्र श्रेष्ठ महाधनुर्धारी काशिराज और महारथी शिखण्डी एवं धृष्टद्युम्न तथा राजा विराट और अजेय सात्यकि, राजा द्रुपद एवं द्रौपदी के पाँचों पुत्र और बड़ी भुजावाले सुभद्रा पुत्र अभिमन्यु इन सभी ने, राजन् ! सब ओर से अलग-अलग शंख बजाये ॥17-18॥