श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीसाँझी-लीलापद (रास सारंग बृंदाबनी, ताल चौताल)
दोनौं कुंज भवन में बिराजै हैं। प्रीतम नें मुरली में सारंग राग कौ अलाप लीनौं, तामें एक तान जानि-बूझि कैं असुद्ध बजाई। ताकूँ सुनि कैं स्वामिनी जी ने बीन में वाही तान कूँ अद्भुत ढंग सौं प्रीतम कूँ सुनाई। तब प्रीतम नें बौहौत ही बड़ाई कीनी और प्रिया कौं आलिंगनरूप उपहार दीनौ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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