राधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ पृ. 47

श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ

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श्रीसाँझी-लीला

सखी-

पद (राग नूरसारंग, ताल मूल)

चलौ किन देखन कुंज कुटी।
मदन गुपाल जहाँ मधि नाइक मनमथ फौज लुटी ।।
सुरत-समर में लरत सखी की मुक्ता-माल टुटी।
परमानँद गोबिंद ग्वालिनि की नीकी जोट जुटी।।
समाजी-

(कवित्त)

जेते द्रुम कुंजनि, कलप-बृच्छ ये प्रतिच्छ,
दोउन कौं बाँछित दई हैं निधि भलियाँ।
स्यामा-स्याम करैं केलि आनँद अलोल मत्त,
बेल नए नेह की अछेह फूल-फलियाँ।।
दंपति कौ सुख, सोई संपति है नैनन की,
नागरिया देखि-देखि जीवत हैं अलियाँ।
नैंक दिन-राति के बिहात की न जानी जात,
बंदाबन होत नित नई रंग-रलियाँ।।
बंदाबन आँनद बिहार चारू दंपति के,
ताकी दिन-रात बात सो सुनि जियौ करौ।
ललित हिंडोरा, साँझी, रास-रंग, दीपमाला,
फूलनि की कुंज रुचि रचना कियौ करौ।।
नित ही बसंत यहाँ, होरी चित-चोरी चाव,
नागरिया केलि ये सकेलि कैं लियौ करौ।
दियौ करौ येई अरु येई सुख लियौ करौ,
येई दिन-रैन रस रसिक पियौ करौ।।

श्री साँझी लीला संपूर्ण

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

क्रमांक विषय का नाम पृष्ठ संख्या
1. श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला 1
2. श्रीसाँझी-लीला 27
3. श्रीकृष्ण-प्रवचन-गोपी-प्रेम 48
4. श्रीगोपदेवी-लीला 51
5. श्रीरास-लीला 90
6. श्रीठाकुरजी की शयन झाँकी 103
7. श्रीरासपञ्चाध्यायी-लीला 114
8. श्रीप्रेम-सम्पुट-लीला 222
9. श्रीव्रज-प्रेम-प्रशंसा-लीला 254
10. श्रीसिद्धेश्वरी-लीला 259
11. श्रीप्रेम-परीक्षा-लीला 277
12. श्रीप्रेमाश्रु-प्रशंसा-लीला 284
13. श्रीचंद्रावली-लीला 289
14. श्रीरज-रसाल-लीला 304
15. प्रेमाधीनता-रहस्य (श्रीकृष्ण प्रवचन) 318
16. श्रीकेवट लीला (नौका-विहार) 323
17. श्रीपावस-विहार-लीला 346
18. अंतिम पृष्ठ 369

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