श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीकेवट लीला
सखी- अरी बीर! यहाँ तौ कोई दही-दूध कौ ग्राहक ही न मिल्यौ, अब कहा करैं?
(दोहा)
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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श्रीकेवट लीला
सखी- अरी बीर! यहाँ तौ कोई दही-दूध कौ ग्राहक ही न मिल्यौ, अब कहा करैं?
(दोहा)
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