राधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ पृ. 301

श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ

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श्रीचंद्रावली-लीला

 चंद्रावली- सो कौन ते?
सखी- जाके पीछें तेरी यह दशा है।
चंद्रावली- सो कौन के पीछें मेरी यह दशा है?
सखी- अरी मेरी अलक लड़ैती! ये आँखि इतनी बुरी है कि जब काहू सौं लगि जायँ तौ छिपाये ते नहीं छिपै। चल, घर चल! और कोई सखी देखैगी तौ हाँसी करैगी।

चंद्रावली-

(पद)

मत मेरे मन से पूछौ ये दुख-भरी कहानी।
बिरहा की पीर जानैं, बिरहा की जो दिवानी।।
मरते हैं क्यों पतिंगे दीपक के साथ जलकर,
जलहीन मीन क्योंकर मरती तड़प-तड़प कर,
इस प्रेम के पथिक की ये रीत है पुरानी।।1।।
घनस्याम के बिरह में ये दिल हुआ दिवाना,
परवाह क्या किसी की, रूठै अगर जमाना,
पीछे नहीं हटेगी ये स्याम की दिवानी।।2।।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

क्रमांक विषय का नाम पृष्ठ संख्या
1. श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला 1
2. श्रीसाँझी-लीला 27
3. श्रीकृष्ण-प्रवचन-गोपी-प्रेम 48
4. श्रीगोपदेवी-लीला 51
5. श्रीरास-लीला 90
6. श्रीठाकुरजी की शयन झाँकी 103
7. श्रीरासपञ्चाध्यायी-लीला 114
8. श्रीप्रेम-सम्पुट-लीला 222
9. श्रीव्रज-प्रेम-प्रशंसा-लीला 254
10. श्रीसिद्धेश्वरी-लीला 259
11. श्रीप्रेम-परीक्षा-लीला 277
12. श्रीप्रेमाश्रु-प्रशंसा-लीला 284
13. श्रीचंद्रावली-लीला 289
14. श्रीरज-रसाल-लीला 304
15. प्रेमाधीनता-रहस्य (श्रीकृष्ण प्रवचन) 318
16. श्रीकेवट लीला (नौका-विहार) 323
17. श्रीपावस-विहार-लीला 346
18. अंतिम पृष्ठ 369

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