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श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीरासपञ्चाध्यायी लीला(फूल तोरिकैं फिर सब सिंगार करनौ)
पद (राग हमीर)
ठाकुरजी- हे किसोरी जू, यहाँ सखी आवत होंयगी, सो दूसरे बन में पधारौ!
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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