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श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीरासपञ्चाध्यायी लीलाअरी बहिनाऔ! हमारे समान या त्रिलोकी में कोई स्त्री बड़भागिन नहीं है। प्यारे हमारी कितनी आग्या मानैं हैं! जो हम कहैं, सोई करैं हैं।
(श्लोक)
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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