(2) अधश्चोर्ध्वं प्रसृतास्तस्य शाखा गुणप्रवृद्धा विषयप्रवाला:। अधश्च मूलान्यनुसंततानि कर्मानुबन्धीनि मनुष्यलोके॥
ऊपर नीचे प्रसृत शाखाएं[1]
पोषित हो जो तीनों गुणों से;[2]
करती अंकुरित विषय-प्रवाल है।
कर्मानुबन्धीनि जिसकी[3] मूलें
ऊपर-नीचे-स्वर्ग-मृतलोक में;
फैलकर रहती व्याप्त सर्वत्र है।।