गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण पृ. 133

गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण

अध्याय- 1
(अर्जुन विषाद-योग)
Prev.png

(8)
भवान्भीष्मश्च कर्णश्च
कृपश्च समितिंजयः।
अश्वत्थामा विकर्णश्च
सौमदत्तिस्तथैव च।।

(8)
आप हो भीष्म[1] हैं तथाहि कर्ण[2]हैं
कृपाचार्य[3]समिंतिंजय[4]भी हैं।
विकर्ण[5] सहित अश्वत्थामा[6] है
सौमदत्त - पुत्र वीर भूरिश्रवा[7]हैं।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भीष्म - देखो अवतरणिका पृष्ठ 3।
  2. कर्ण - देखो अवतरणिका पृष्ठ 9।
  3. कृपाचार्य - देखो अवतरणिका पृष्ठ 17।
  4. रण विजेता कृपाचार्य का विशेषण।
  5. विकर्ण - यह दुर्योधन का भाई था।
  6. अश्वत्थामा - द्रोणाचार्य का पुत्र। देखो अवतरणिका पृष्ठ 16।
  7. भूरिश्रवा - राजा शान्तनु के बड़े भाई बाल्हीक का पुत्र सोमदत्त था और सोमदत्त का पुत्र भूरिश्रवा था। इस प्रकार भूरिश्रवा बाल्हीक का पौत्र था। भूरिश्रवा युद्ध में सात्यकि द्वारा मारा गया था।

संबंधित लेख

गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण
अध्याय अध्याय का नाम पृष्ठ संख्या
- गीतोपदेश के पश्चात भागवत धर्म की स्थिति 1
- भूमिका 66
- महर्षि श्री वेदव्यास स्तवन 115
- श्री गणेश वन्दना 122
1. अर्जुन विषाद-योग 126
2. सांख्य-योग 171
3. कर्म-योग 284
4. ज्ञान-कर्म-संन्यास योग 370
5. कर्म-संन्यास योग 474
6. आत्म-संयम-योग 507
7. ज्ञान-विज्ञान-योग 569
8. अक्षर-ब्रह्म-योग 607
9. राजविद्या-राजगुह्य-योग 653
10. विभूति-योग 697
11. विश्वरूप-दर्शन-योग 752
12. भक्ति-योग 810
13. क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ-विभाग-योग 841
14. गुणत्रय-विभाग-योग 883
15. पुरुषोत्तम-योग 918
16. दैवासुर-संपद-विभाग-योग 947
17. श्रद्धात्रय-विभाग-योग 982
18. मोक्ष-संन्यास-योग 1016
अंतिम पृष्ठ 1142

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः