- (82) पुरुषकारात् भक्तिरभिन्ना - 5
1. पूर्णयोगः
2. वृक्षरूपकम्
3. त्रैगुण्य-रामायणम्
4. निस्त्रैगुण्ये कमलवत्
5. यत्नवीरं कामयन्ते वेदाः
- (83) तया स सुकरः - 2
6. ज्ञानकर्मप्रेम्णस् त्रिपदी
7. प्रेम्णा तपः शीतलम्
- (84) त्रैतं सेवार्थम् - 5
8. सेव्य-सेवक-साधन-त्रिपुटी
9. सेव्य-सेवकौ सनातनौ
10. साधनरूपा सृष्टिर् नित्यनूतनी
11. चंद्रकला सुमनमाला
12. नवनव-प्रसवा
- (85) सैव भक्तिरनहंकृता चेत् - 2
13. दैनंदिनी सेवा
14. निरहंकृता भक्तिरूपा