रे सांवलिया म्हांरे आज रंगीली गणगोर -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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राग नट विलावल




रे साँवलिया म्हाँरे आज रँगीली गणगोर, छै जी ।। टेक ।।
काली पीली बदली में बिजली चमके, मेघ घटा घनघोर, छै जी ।
दादुर मोर पपीहा बोलै, कोयल कर रही, सोर छै जी ।
मीराँ के प्रभु गिरधर नागर, चरणँ में म्हाँरो जोर, छै जी ।।143।।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. रंगीली = रंगभरी। गणगौर = चैत्रशुक्ला तृतीया को होने वाला गौरी व्रत का त्यौहार। छै = है। काली पीली = घनघोर मेघ = मेह, वर्षा। सोर = शब्द, कूक। चरणा = चरणों। जोर = शक्ति, दृढ़ विश्वास।

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