जोसीड़ा ने लाख बधाई रे -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

Prev.png
मिलन


राग सोरठ





जोसीड़ा ने लाख बधाई रे, अब घर आये स्याम ।। टेक ।।
आजि आनंद उमँगि भयो है, जीव लहै सुखधाम ।
पाँच सखी मिलि पीव परसि कैं, आनँद ठामूँ ठाँम ।
बिसरि गई दुख निरखि पिया कूँ सुफल मनोरथ काम ।
मीराँ के सुख सागर स्वामी, भवन गवन कि‍यो राम ।।142।।[1]




Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. जोसीड़ा = जोशी, ज्योतिषी, पुराहित। लाख = अनेक। बधाई = उपहार, धन्यवाद। जीव... सुख धाम = प्राणों को अत्यंत सुख की प्राप्ति हो गई। पाँच सखी = पाँच सखियाँ अथवा पंच ज्ञानेन्द्रियाँ। परसिकै = स्वागत किया, दर्शनानन्द प्राप्त किया। ठाँम ठाँम = जगह जगह पर ( मनाया )। सुफल = पूर्ण हुई। काम = कामना। गवन कियो = पधारे। राम = पिंयतम।

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः