(राग मालकोस-तीन ताल)राधिके! तुम मम जीवन-मूल । जस सरीर में निज-निज थानहिं सबही सोभित अंग । तस तुम प्रिये! सबनिके सुख की एक मात्र आधार । तुम्हरे प्राननि सौं अनुप्रानित, तुम्हरे मन मनवान । तुम्हरे रस-भंडार पुन्य तैं पावत भिच्छुक चून । सोऊ अति मरजादा, अति संभ्रम-भय-दैन्य-सँकोच । तुम्हरौ स्वत्व अनंत नित्य, सब भाँति पूर्न अधिकार । तुम्हरी मधुर रहस्यमई मोहनि माया सौं नित्य । इस गीत का अनुवाद अगले पृष्ठ पर देखें |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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