राधा माधव रस सुधा पृ. 4

श्री राधा माधव रस सुधा -हनुमान प्रसाद पोद्दार
[षोडशगीत]

श्रीकृष्ण के प्रेमोद्गार-श्रीराधा के प्रति

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(राग मालकोस-तीन ताल)

राधिके! तुम मम जीवन-मूल ।
अनुपम अमर प्रान-संजीवनि, नहिं कहुँ कोउ समतूल ॥ 1॥

जस सरीर में निज-निज थानहिं सबही सोभित अंग ।
किंतु प्रान बिनु सबहि ब्यर्थ, नहिं रहत कतहुँ कोउ रंग ॥ 2॥

तस तुम प्रिये! सबनिके सुख की एक मात्र आधार ।
तुम्हरे बिना नहीं जीवन-रस, जासौं सब कौ प्यार ॥ 3॥

तुम्हरे प्राननि सौं अनुप्रानित, तुम्हरे मन मनवान ।
तुम्हरौ प्रेम-सिंधु-सीकर लै करौं सबहि रसदान ॥ 4॥

तुम्हरे रस-भंडार पुन्य तैं पावत भिच्छुक चून ।
तुम सम केवल तुमहि एक हौ, तनिक न मानौ ऊन ॥ 5॥

सोऊ अति मरजादा, अति संभ्रम-भय-दैन्य-सँकोच ।
नहिं कोउ कतहुँ कबहुँ तुम-सी रसस्वामिनि निस्संकोच ॥ 6॥

तुम्हरौ स्वत्व अनंत नित्य, सब भाँति पूर्न अधिकार ।
कायब्यूह निज रस-बितरन करवावति परम उदार ॥ 7॥

तुम्हरी मधुर रहस्यमई मोहनि माया सौं नित्य ।
दच्छिन बाम रसास्वादन हित बनतौ रहूँ निमित्त ॥ 8॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

सम्बंधित लेख

राधा माधव रस सुधा
क्रम संख्या अध्याय पृष्ठ संख्या
1. महाभाव-रसराज-वन्दना 2
2. राग मालकोस-तीन ताल 4
3. राग रागेश्वर-ताल दादरा 6
4. राग भैरव-तीन ताल 8
5. राग भैरवी-तीन ताल 10
6. राग परज-तीन ताल 12
7. राग परज-तीन ताल 14
8. राग भैरवी तर्ज-तीन ताल 16
9. राग भैरवी तर्ज-तीन ताल 18
10. राग गूजर-ताल कहरवा 20
11. राग गूजर-ताल कहरवा 22
12. राग शिवरंजन-तीन ताल 24
13. राग शिवरंजन-तीन ताल 26
14. राग वागेश्र-तीन ताल 28
15. राग वागेश्र-तीन ताल 30
16. राग भैरव-तीन ताल 34
17. राग भैरवी तर्ज-तीन ताल 36
18. पुष्पिका 38
अंतिम पृष्ठ 39

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