राधा माधव रस सुधा पृ. 16

श्री राधा माधव रस सुधा -हनुमान प्रसाद पोद्दार

[षोडशगीत]

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श्रीकृष्ण के प्रेमोद्गार-श्रीराधा के प्रति

(राग भैरवी तर्ज-तीन ताल)

हे प्रियतमे राधिके! तेरी महिमा अनुपम, अकथ, अनन्त ।
युग-युग से गाता मैं अविरत, नहीं कहीं भी पाता अन्त ॥ 1॥

सुधानन्द बरसाता हिय में तेरा मधुर वचन अनमोल ।
बिका सदा के लिये मधुर दृग-कमल, कुटिल भ्रुकुटी के मोल ॥ 2॥

जपता तेरा नाम मधुर अनुपम, मुरली में नित्य ललाम ।
नित अतृप्त नयनों से तेरा रूप देखता अति अभिराम ॥ 3॥

कहीं न मिला प्रेम शुचि ऐसा, कहीं न पूरी मन की आश ।
एक तुझी को पाया मैंने जिसने किया पूर्ण अभिलाष ॥ 4॥

नित्य तृप्त निष्काम नित्य में मधुर अतृप्ति, मधुरतम काम ।
तेरे दिव्य प्रेम का है यह जादू भरा मधुर परिणाम ॥ 5॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

सम्बंधित लेख

राधा माधव रस सुधा
क्रम संख्या अध्याय पृष्ठ संख्या
1. महाभाव-रसराज-वन्दना 2
2. राग मालकोस-तीन ताल 4
3. राग रागेश्वर-ताल दादरा 6
4. राग भैरव-तीन ताल 8
5. राग भैरवी-तीन ताल 10
6. राग परज-तीन ताल 12
7. राग परज-तीन ताल 14
8. राग भैरवी तर्ज-तीन ताल 16
9. राग भैरवी तर्ज-तीन ताल 18
10. राग गूजर-ताल कहरवा 20
11. राग गूजर-ताल कहरवा 22
12. राग शिवरंजन-तीन ताल 24
13. राग शिवरंजन-तीन ताल 26
14. राग वागेश्र-तीन ताल 28
15. राग वागेश्र-तीन ताल 30
16. राग भैरव-तीन ताल 34
17. राग भैरवी तर्ज-तीन ताल 36
18. पुष्पिका 38
अंतिम पृष्ठ 39

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