श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीकेवट लीला
पद (राग-हमीर, ताल-त्रिताल)
सखी! जा दिन स्यामसुंदर हमारी मटुकी कौ माँखन खाय लेय हैं, वा दिना हाथन-ही -हाथ बिकि जाय है।
(दोहा)
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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