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श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीब्रज-प्रेम-प्रशंसा-लीलातब मैंने कही- ‘क्यों!’ तब वा गोपी ने तुरंत उत्तर दियौ-
वाने कही- ‘कन्हैया’ तैनें तो केवल गिरिराज ही उठायौ हौ, किंतु हमारी रासेस्वरी-सर्वेस्वरी राधा ने तौ तो समेत गिरिराज सात दिन, सात रात ताईं अपन एक भौंह की कोर पै ही डाट्यौ हौ, नहीं तौ वाकौ बोझ तेरे बाप पै हू नहीं झिलतौ! अहा, धन्य है या प्रेम कूँ! वास्तव में मेरौ भक्त अनन्य हैकैं मेरौ भजन करै है, तौ मैं वाकूँ कछु दै दऊँ हूँ या कछु उपकार कर दऊँ हूँ। जैसें-
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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