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श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीप्रेम-सम्पुट लीला(दोहा)
अर्थ- हे इंद्रमुखी, कमल-बदनी! वा समय तौ तुम मोहित नहीं भई, परंतु यदि यहाँ तुम्हारे नयन-बान तें बिंधे भये प्रीतम मन-मोहन तुम्हारी ओर कटाच्छ पात करि दैंगे तो निस्चै ही तुम्हारौ अपनपौ हाथ सौं छूटि जायगौ। तुम स्वयंहू मोहित है जाऔगी। हाँ, या परस्पर के मोहिवे में अवस्य एक विचित्र चमत्कार होयगौ।
(श्लोक)
हे सखी! कहा तुम दैहिक दुःख सौं पीड़ित हो अथवा तुम्हारे वक्ष में, पीठ में, अथवा सिर में कोई पीरा है? |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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