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श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीरासपञ्चाध्यायी लीला
अर्थ- हे पीपर, हे पाकर, हे बट! नंदनंदन स्यामसुंदर अपनी प्रेमभरी मुसुक्यान और चितवन ते हम सब कौ चित्त चुराय लै गये, आप ने कहूँ देखे होयँ तौ बताय देऔ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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