मीराँबाई की पदावली
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मन की मैल = मनोविकार। दियो तिलक = तिलक लगा लिया। सिर धोंय = शिर व ललाट धोकर। काम = कामनायें। कूकर = कुत्ते की तरह। चंडाल = क्रूर। काम...चंडाल = क्रूर कमानायें मुझे कुत्ते की तरह लोभ की जंजीर में बाँधे रहती हैं। घट = हृदय में। विषया = विषयोपभोगी इन्द्रियगण। बिलार... देत = सदा भोग विलास के इच्छुक लोभी इन्द्रियरूपी विलार हो तृप्त करने का प्रयत्न होता रहता है। किये बहु = अनेक बना दिये वा खड़े कर दिये हैं। अभिमान... ठहरात = सदा मिथ्यामिमान के कारण गर्वीले बने रहने पर कोई प्रभाव उपदेशादि का नहीं पड़ने पाता। मनियाँ = माला के दाने। सहज... वैराग्य = वैराग्य को आसान कर दो, वैराग्य धारण में लिए कठिन न होने पावे।
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