टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ लगे तुम
- ↑ एक टकटकी पंथ निहारूँ
- ↑ दूखण लागे = दुखने लगे। जब के = जब से। सुणत = स्मरण करते ही, याद आते ही। छतियाँ = छाती। बहगई करवत = आरी चली गई। ऐन = पूरी पूरी। देखो - ‘शूती साजणा संभर्या, करवत बूही अंगि’ - ढोला मारूरा दूहा )। बह गई... एन = अत्यन्त कष्ट हुआ। छ मासी = छः महीनों जैसी लम्बी। मेटण = मेटने वाले। दैण = दूर करने वाले।
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