तुमरे कारण सब सुख छाडया -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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विरह निवेदन

धुन लावनी


तुमरे कारण सब सुख छाडया, अब मोहि क्‍यूँ तरसावौ हो ।।टेक।।
बिरह बिथा लागी उर अन्‍तर, सो तुम आप बुझावौ हो ।
अब छोड़त नहिं वणै प्रभूजी, हँसि करि तुरत बुलावौ हो ।
मीराँ दासी जनम जनम की, अंग से अंग लगावौ हो ।।104।।[1]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. - छाड्या = त्याग दिये। छोड़त नहिं बणै = त्याग देने से काम नहीं चलने का।

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