मीराँबाई की पदावली
विरह निवेदन राग पहाड़ी
घडी़ एक नहिं आवड़े, तुम दरसण बिन मोय । |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ आवड़े = सुहाता वा अच्छा लगता है। मोय = मुझे। घड़ी... मोय = तुझे देखे बिना घड़ी भर भी नहीं रहा जाता। कासूँ = किससे, किस प्रकार। धान = अन्न (देखो - पद 84)। गमाइयो = ब्यतीत होता है। झूरताँ = शोकावेग में ही। गँवाया = खो दिये। ऊभी... जोइ = खड़ी खड़ी राह देखा करती हूँ। ( देखो - ‘जानतौ जौ इतनी परतीत तौ प्रीति की रीति को नाम न लेतौ - ठाकुर)।
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