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श्रीवृन्दावन महिमामृतम् -श्यामदास
नवमं शतकम्
चैतन्य और जड़ के भेद को दूर करने वाले स्वर्णोज्ज्वल चन्द्रिका प्रसारित करने वाले, श्रीकृष्ण-चकोर के एकमात्र जीवन स्वरूप श्रीराधिका मुखचन्द्र का स्मरण कर।।7।।
परिपूर्ण मधुरतम प्रेमामृत की सार सुंदर आकृति विशिष्ट श्रीवृन्दावनेश्वरी नित्याकिशोरी को मैं नमस्कार करता हूँ।।8।।
चित्-जड़ के भेद को आच्छादन करने वाले परम उच्छलित श्रीराधा के आस्वाद्य महा प्रेमरस-सार सुगौर चन्द्रिका-समुद्र को स्मरण कर।।9।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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