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श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
।। श्रीगोपीजनवल्लभाय नमः।। श्रीप्रेम-सम्पुट लीला
(श्लोक)
अर्थ- जो आश्रित जनन के ताईं समस्त फल-दाता चिंतामनि हैं, जो ब्रज-नव तरुनीन की चूड़ामनि और वृषभानु की कुलमनि हैं, वे ही श्रीस्यामसुंदर के बिरह कूँ सांत करिबेवारी श्रेष्ठ मनि हैं। निकुंज भवन की भूषन रूपा मनि तथा मेरे हृदय संपुट की हू दिब्य मनि वे ही श्रीराधा हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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