विषय सूची
श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीरासपञ्चाध्यायी लीला(श्लोक)
अर्थ- जो प्रेम करिबेवारे और प्रेम न करिबेवारे दोनूँन कूँ तजैं, वे चार प्रकार के होयँ हैं- आत्माराम, आप्तकाम, अकृतज्ञ, गुरुद्रोही। आत्माराम वे, जो नित्य अपनी आत्मा में ही रमण करैं हैं। पूर्णकाम वे, जिनमें कोई कामना उदय ही नायँ होय है। अकृतज्ञ वे, जो काहू के लिए कूँ नहीं मानैं। गरुद्रोही वे, जो अपनौं हित करिबावारे गुरु-तुल्य जन सौं हू द्रोह करैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रमांक | विषय का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज