द्वापर हिन्दू पौराणिक ग्रन्थों और महाभारत की मान्यताओं के अनुसार चार युगों में से तीसरा युग है। पुराणानुसार यह 864000 वर्ष का माना गया है।
- युगों में इसे 'वैश्य' युग कहते हैं, जिसमें युद्धों की पूजा होती हैं अर्थात अनेक युद्ध होते हैं।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 242 |
- ↑ वायु पुराण 78.36-7
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