दशमी हिन्दू पंचांग की दसवीं तिथि कही जाती है। यह तिथि मास में दो बार आती है-
- भविष्य पुराण के अनुसार दशमी तिथि को यमराज (काल) की पूजा करने से आरोग्य तथा दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
- दशमी तिथि को शिव जी का वास अनुकूल न होने से शिव पूजन वर्जित है।
- शनिवार को दशमी मृत्युदा तथा गुरुवार को सिद्धिदा होती है।
- चन्द्रमा की इस दसवीं कला का अमृत पान वायु देव करते हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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