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श्रीगीतगोविन्दम् -श्रील जयदेव गोस्वामी
षष्ठ: सर्ग:
धृष्ट-वैकुण्ठ:
द्वादश: सन्दर्भ
12. गीतम्
श्रीजयदेव-कवेरिदमुदितम्। अनुवाद- श्रीजयदेव कवि द्वारा रचित इस गान से रसिक जनों के हृदय में अतिशय हर्ष का उदय हो। पद्यानुवाद बालबोधिनी- कवि जयदेव कहते हैं कि सखी ने जो श्रीराधा की चेष्टा निवेदन-विषयक गीत गाया है, वह गीत श्रृंगार-रस द्वारा विभावित चित्तमय रसिक भक्तों को अतिशय आनन्द प्रदान करे। प्रस्तुत गीत में श्रृंगार-रस के विप्रलम्भ भाव-रसका चित्रण है। समुच्चय स्वर है। शठ नायक है। चिन्ता से व्याकुल होने वाली वासकसज्जा नायिका है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अन्वय- श्रीजयदेव-कवे: उदितम् (उक्तम्) इदं [श्रृंगार-रस भावितान्त:करणं] रसिकजनम् अतिमुदितं (अतिप्रीतं) तनुताम् (कुरुताम्)। [एतेन श्रृंगार-रसाविष्टैर्भक्तैरिव श्रीजयदेवोक्तवचन-मास्वादनीयमित्युक्तम्] ॥8॥
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