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श्रीगीतगोविन्दम् -श्रील जयदेव गोस्वामी
प्रथम सर्ग
सामोद-दामोदर
अथ द्वितीय सन्दर्भ
2. गीतम्
दिनमणि मण्डित भव खण्डित हे। बालबोधिनी - दिन मणि मण्डल मण्डन! श्रीभगवान का सूर्यमण्डल के भीतर अन्तर्यामी रूप में निवास है। वे ध्येय एवं चिन्तनीय हैं। ध्येय: सदा सवितृमण्डल मध्यवर्त्ती, नारायण: सरसिजासन सन्निविष्ट:। जैसे सूर्यमण्डल सभी के द्वारा पूज्य हैं, उसी प्रकार आप भी सबके द्वारा चिन्तनीय एवं उपास्य हैं। और भी कहा है ज्योतिरभ्यन्तरे श्याम सुन्दरमतुलं॥ भवखण्डन ए-एष आत्मा पहतपाप्मा विजरो विमृत्युर्विशोको विजिघत्सो पिपास: सत्यकाम: सत्यसप्रल्प:। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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