गीत गोविन्द -जयदेव पृ. 67

श्रीगीतगोविन्दम्‌ -श्रील जयदेव गोस्वामी

प्रथम सर्ग
सामोद-दामोदर

अथ द्वितीय सन्दर्भ
2. गीतम्

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अमल-कमल-दललोचन! भव मोचन।
त्रिभुवन भवन-निधान!
जय जय देव हरे ॥5॥
जनक-सुता-कृत-भूषण! जितदूषण!
समर-शमित-दशकण्ठ!
जय जय देव हरे ॥6॥
अभिनव-जलधर-सुन्दर! धृतमन्दर!
श्रीमुखचन्द्र-चकोर!
जय जय देव हरे ॥7॥
तव चरणे प्रणता वयम् इति भावय।
कुरु कुशलं प्रणतेषु,
जय जय देव हरे ॥8॥
श्रीजयदेवकवेरिदं कुरुते मुदम्।
मंगलमुज्ज्वलगीतम्
जय जय देव हरे ॥9॥
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

गीत गोविन्द -श्रील जयदेव गोस्वामी
सर्ग नाम पृष्ठ संख्या
प्रस्तावना 2
प्रथम सामोद-दामोदर: 19
द्वितीय अक्लेश केशव: 123
तृतीय मुग्ध मधुसूदन 155
चतुर्थ स्निग्ध-मधुसूदन 184
पंचम सकांक्ष-पुण्डरीकाक्ष: 214
षष्ठ धृष्ठ-वैकुण्ठ: 246
सप्तम नागर-नारायण: 261
अष्टम विलक्ष-लक्ष्मीपति: 324
नवम मुग्ध-मुकुन्द: 348
दशम मुग्ध-माधव: 364
एकादश स्वानन्द-गोविन्द: 397
द्वादश सुप्रीत-पीताम्बर: 461

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