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श्रीगीतगोविन्दम् -श्रील जयदेव गोस्वामी
प्रथम सर्ग
सामोद-दामोदर
अथ प्रथम सन्दर्भ
अष्टपदी
1. गीतम्
पद्यानुवाद
बालबोधिनी - पाँचवे पद्य में वामनदेव की स्तुति की गयी है। राजा बलि की यज्ञशाला में जाकर आपने भिक्षा के छल से त्रविक्रम रूप धारण कर ऊपर नीचे के समस्त लोक नाप लिये हैं। छलयसि इसमें वर्त्तमान कालिक क्रिया पद का प्रयोग है, अर्थात्र बलि को अपने वरदान से अनुग्रहीत कर उसके साथ पाताल में निवास करते हैं और अनादि काल से ही अद्भुत वामन बनकर उसे छला करते हैं। पदनख नीर जनित जन पावन से तात्पर्य है कि उन्होंने अपने पद-नखों से श्रीगंगा को यहाँ प्रकटकर समस्त संसार को पावन किया है। ब्रह्माजी ने पृथ्वी नापते समय भगवान के चरणों को ब्रह्मलोक में देखकर अर्घ्य चढ़ाया। वही जल श्रीगंगा जी के रूप में परिणत हो गया। आपकी जय हो। इस पद्यमें अद्भुत रस है, यहाँ पर श्रीभगवान सख्य रस के अधिष्ठाता रूप में प्रकाशित हुए हैं ॥5॥ |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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