सपना वर्मा (वार्ता | योगदान) ('<div class="bgsurdiv"> <h3 style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;">'''श्रीगीतगोविन्द...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
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− | '''जय जगदीश हरे ॥ध्रुवपदम् ॥1॥''' | + | '''जय जगदीश हरे ॥ध्रुवपदम् ॥1॥<ref>'''अन्वय -''' हे केशव! हे धृत-मीनशरीर! (स्वीकृत-मत्स्य-कलेवर) त्वं प्रलयपयोधिजले (कल्पान्तसागर-सलिले) विहित-वहित्रचरित्रम् (विहितं स्वीकृतम् अवलम्बितमिति यावत्र वहित्रस्य अर्णवपोतस्य चरित्रं व्यवहारो यस्मिन् तद्यथा स्यात् तथा अखेदं (अनायासं यथा स्यात्र तथा) वेदं धृतवानसि (रक्षितवानसि) अत: हे जगदीश, हे हरे, (हरति भक्तानामशेषक्लेशमितिहरि: तत्सम्बुद्धो) त्वं जय (सर्वोत्कर्षे वर्त्तस्व) ॥1॥</ref>''' |
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'''अनुवाद -''' हे जगदीश्वर! हे हरे! नौका (जलयान) जैसे बिना किसी खेद के सहर्ष सलिलस्थित किसी वस्तु का उद्धार करती है, वैसे ही आपने बिना किसी परिश्रम के निर्मल चरित्र के समान प्रलय जलधि में मत्स्य रूप में अवतीर्ण होकर वेदों को धारणकर उनका उद्धार किया है। हे मत्स्यावतारधारी श्रीभगवान! आपकी जय हो। | '''अनुवाद -''' हे जगदीश्वर! हे हरे! नौका (जलयान) जैसे बिना किसी खेद के सहर्ष सलिलस्थित किसी वस्तु का उद्धार करती है, वैसे ही आपने बिना किसी परिश्रम के निर्मल चरित्र के समान प्रलय जलधि में मत्स्य रूप में अवतीर्ण होकर वेदों को धारणकर उनका उद्धार किया है। हे मत्स्यावतारधारी श्रीभगवान! आपकी जय हो। | ||
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18:04, 28 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण
विषय सूची
श्रीगीतगोविन्दम् -श्रील जयदेव गोस्वामी
प्रथम सर्ग
सामोद-दामोदर
अथ प्रथम सन्दर्भ
अष्टपदी
1. गीतम्
प्रलयपयोधिजले धृतवानसि वेदं
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अन्वय - हे केशव! हे धृत-मीनशरीर! (स्वीकृत-मत्स्य-कलेवर) त्वं प्रलयपयोधिजले (कल्पान्तसागर-सलिले) विहित-वहित्रचरित्रम् (विहितं स्वीकृतम् अवलम्बितमिति यावत्र वहित्रस्य अर्णवपोतस्य चरित्रं व्यवहारो यस्मिन् तद्यथा स्यात् तथा अखेदं (अनायासं यथा स्यात्र तथा) वेदं धृतवानसि (रक्षितवानसि) अत: हे जगदीश, हे हरे, (हरति भक्तानामशेषक्लेशमितिहरि: तत्सम्बुद्धो) त्वं जय (सर्वोत्कर्षे वर्त्तस्व) ॥1॥
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