राधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ पृ. 42

श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ

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श्रीसाँझी-लीला

श्रीकृष्ण-

(कबित्त)

हमहू हैं राधे जू के, हमैं अपनाय लेऔ,
ज्यौंब मुख-सुधाधर देखि-देखि जीजियै।
निकट बुलाय मोहि, दामन लगाय राखौ,
सखी हौ कुँवरि जू की, खुनस न कीजियै।
हारे तुम आगें, बन-द्रुम हैं तिहारे अब,
नागरिया दोऊ ओर रसघन भीजियै।
नीकें सनमान कछु करि रखवारन कौ,
पाछें बहु फूलनि सौं फूलन कौं लीजियै।।

अरी, हमहूँ तौ श्रीराधेजू के ही हैं। नैंक हमैं हू अपनाय लेऔ, जासौ हमहूँ इनको मुखचंद देखि-देखि कैं जियौ करैं। मोय अपने ढिंग बुलाय कैं अपने आँचल कौ छोर पकराय अपनौ आस्त्रित बनाय कैंऊ राखौ। तुम तौ श्रीराधा कुँवरि की प्यारी सहचरी हौ, यातें मेरे प्रति मन में नैंक हू खुनस मत राखौ। अब हम तिहारे आगें हारि गए, यहाँ की सब वस्तु तिहारी ही है; परंतु नैंक दया करि हमारौ हू ध्यान राखौ। हम याकी रखवारी करैं हैं, यासौं कछू हमारौ हू सनमान कर्यौ चहिए। वैसैं तौ सब बस्तु आपकी ही हैं। जो चहियै, सोई लै जाऔ।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

क्रमांक विषय का नाम पृष्ठ संख्या
1. श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला 1
2. श्रीसाँझी-लीला 27
3. श्रीकृष्ण-प्रवचन-गोपी-प्रेम 48
4. श्रीगोपदेवी-लीला 51
5. श्रीरास-लीला 90
6. श्रीठाकुरजी की शयन झाँकी 103
7. श्रीरासपञ्चाध्यायी-लीला 114
8. श्रीप्रेम-सम्पुट-लीला 222
9. श्रीव्रज-प्रेम-प्रशंसा-लीला 254
10. श्रीसिद्धेश्वरी-लीला 259
11. श्रीप्रेम-परीक्षा-लीला 277
12. श्रीप्रेमाश्रु-प्रशंसा-लीला 284
13. श्रीचंद्रावली-लीला 289
14. श्रीरज-रसाल-लीला 304
15. प्रेमाधीनता-रहस्य (श्रीकृष्ण प्रवचन) 318
16. श्रीकेवट लीला (नौका-विहार) 323
17. श्रीपावस-विहार-लीला 346
18. अंतिम पृष्ठ 369

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