श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीसाँझी-लीला
(कबित्त)
अरी, हमहूँ तौ श्रीराधेजू के ही हैं। नैंक हमैं हू अपनाय लेऔ, जासौ हमहूँ इनको मुखचंद देखि-देखि कैं जियौ करैं। मोय अपने ढिंग बुलाय कैं अपने आँचल कौ छोर पकराय अपनौ आस्त्रित बनाय कैंऊ राखौ। तुम तौ श्रीराधा कुँवरि की प्यारी सहचरी हौ, यातें मेरे प्रति मन में नैंक हू खुनस मत राखौ। अब हम तिहारे आगें हारि गए, यहाँ की सब वस्तु तिहारी ही है; परंतु नैंक दया करि हमारौ हू ध्यान राखौ। हम याकी रखवारी करैं हैं, यासौं कछू हमारौ हू सनमान कर्यौ चहिए। वैसैं तौ सब बस्तु आपकी ही हैं। जो चहियै, सोई लै जाऔ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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