श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीसाँझी-लीला
(कबित्त)
सखी! या बन की चिंता तौ हमकूँ ही रहै हैं। हम याकी रखवारी करैं हैं, याकूँ सींचै है, धूप सहैं, जाड़ौ सहैं, तब ही तौ यह ऐसौ हर्यौ-भर्यौ दीख रह्यौ है। हाँ, तुमकूँ कछू फूल-फल लैनौं होय तौ हमें कछु रखवारी दैकैं तब लेऔ। ऐसैं तौ भलौ पराए फल-फूलनकूँ कौन लैन देयगौ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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