राधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ पृ. 40

श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ

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श्रीसाँझी-लीला

श्रीकृष्ण-

(कबित्त)

हमहीं कौं चिंता या बन की रहत नित,
नित रखवारे रहैं, लाग्यौ चित चेतु है।
हम आठौं जाम सेवैं काम नृप धाम यह,
सहैं घन घाम अति, ताते हिय हेतु है।।
हमहीं सौं गहबर हर्यौ व्है रह्यौ है महा,
नागरिया प्यारौ मीनकेत-रस-खेतु है।
हमहीं कौं दैकैं लैनौं है सु लेहु, यौं
पराए फल-फूलनि कौं कौन लैन देतु है।।

सखी! या बन की चिंता तौ हमकूँ ही रहै हैं। हम याकी रखवारी करैं हैं, याकूँ सींचै है, धूप सहैं, जाड़ौ सहैं, तब ही तौ यह ऐसौ हर्यौ-भर्यौ दीख रह्यौ है। हाँ, तुमकूँ कछू फूल-फल लैनौं होय तौ हमें कछु रखवारी दैकैं तब लेऔ। ऐसैं तौ भलौ पराए फल-फूलनकूँ कौन लैन देयगौ।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

क्रमांक विषय का नाम पृष्ठ संख्या
1. श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला 1
2. श्रीसाँझी-लीला 27
3. श्रीकृष्ण-प्रवचन-गोपी-प्रेम 48
4. श्रीगोपदेवी-लीला 51
5. श्रीरास-लीला 90
6. श्रीठाकुरजी की शयन झाँकी 103
7. श्रीरासपञ्चाध्यायी-लीला 114
8. श्रीप्रेम-सम्पुट-लीला 222
9. श्रीव्रज-प्रेम-प्रशंसा-लीला 254
10. श्रीसिद्धेश्वरी-लीला 259
11. श्रीप्रेम-परीक्षा-लीला 277
12. श्रीप्रेमाश्रु-प्रशंसा-लीला 284
13. श्रीचंद्रावली-लीला 289
14. श्रीरज-रसाल-लीला 304
15. प्रेमाधीनता-रहस्य (श्रीकृष्ण प्रवचन) 318
16. श्रीकेवट लीला (नौका-विहार) 323
17. श्रीपावस-विहार-लीला 346
18. अंतिम पृष्ठ 369

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