राधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ पृ. 359

श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ

Prev.png

रास-लीला के समय पूज्य श्रीभाई जी विरचित ‘पद-रत्नाकर’ के उपयोग पद

(राग आसावरी-तीन ताल)

हमारे जीवन लाड़िली-लाल।
रास-बिहारिनि रास-बिहारी, लतिका-हेम तमाल।
महाभाव-रसमयी राधिका, स्याम रसिक रसराज।
अनुपम अतुल रूप-गुन-माधुरि अँग-अँग रही बिराज।
दोउ दोउन हित चातक, घन प्रिय, दोउ मधुकर, जलजात।
प्रेमी प्रेमास्पद दोउ, परसत दोउ दोउन बर गात।।
मेरे परम सेव्य सुचि सरबस दोउ श्रीस्यामा-स्याम।
सेवत रहूँ सदा दोउन के चरन-कमल अभिराम।।[1]
Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पद-रत्नाकर, पद सं. 36

संबंधित लेख

क्रमांक विषय का नाम पृष्ठ संख्या
1. श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला 1
2. श्रीसाँझी-लीला 27
3. श्रीकृष्ण-प्रवचन-गोपी-प्रेम 48
4. श्रीगोपदेवी-लीला 51
5. श्रीरास-लीला 90
6. श्रीठाकुरजी की शयन झाँकी 103
7. श्रीरासपञ्चाध्यायी-लीला 114
8. श्रीप्रेम-सम्पुट-लीला 222
9. श्रीव्रज-प्रेम-प्रशंसा-लीला 254
10. श्रीसिद्धेश्वरी-लीला 259
11. श्रीप्रेम-परीक्षा-लीला 277
12. श्रीप्रेमाश्रु-प्रशंसा-लीला 284
13. श्रीचंद्रावली-लीला 289
14. श्रीरज-रसाल-लीला 304
15. प्रेमाधीनता-रहस्य (श्रीकृष्ण प्रवचन) 318
16. श्रीकेवट लीला (नौका-विहार) 323
17. श्रीपावस-विहार-लीला 346
18. अंतिम पृष्ठ 369

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः