श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीकेवट लीलाअर्थ- हे राधे! आप या नील वस्त्र कूँ उतारि देउ। यदि कहूँ पबन कूँ भ्रम है गयौ कि या नैया में मेघ बैठ्यौ है, या कूँ उड़ाय के लै चलूँ और यदि पवन जोर सौं चलैगौ तो नैया चक्कर खाय डूब जायगी। फिर मैं अपने कुटुम्ब कौ पालन काहे सौं करूँगौ।
(श्लोक)
अर्थ- अरे मल्लाह! हम तौ तेरे कहिबे ते स्वेत वस्त्र धारन करि लैंगी। पर तेरौ सरीर तौ नवीन मेघ जैसौ है; यदि वायु कूँ भ्रम है गयौ तौ नैया डूब जायगी। यासौं हम उपाय बतावैं हैं; हमारे मटुकान में छाछ है, यासौं तू न्हाय लै तौ तेरौ अंग स्वेत है जायगौ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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