राधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ पृ. 331

श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ

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श्रीकेवट लीला

सखी-

(दोहा)

उतराई पहलें चहै, तौ लै लीजै आय।
पाछें नाव चढ़ाइयै, तेरौ ही गुन गाय।।
मल्लाह-

पद (राग-हमीर, ताल-त्रिताल)

टुक रहौ नवरिया लावत हौं। लावत हौं जू आवत हौं।।
नहिं बातैं तनक बनावत हौं। जिजमानन के गुन गावत हौं।।
उत पूरब पवन झकोर रही। इत जमुना अधिक हिलोर रही।।
कर बल्ली छुटि-छुटि और रही। यह नैया करि अति जोर रही।।
मम नयन रूप अनुरागे जू। अब भाग हमारे जागे जू।।
उर धीर धरौ नव तरुन लली। मैं पहुँचैहौं छिनु माँहि थली।।
मैं आयौ बेगि न बेर अली। अब ललित किसोरी जोर चली।।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

क्रमांक विषय का नाम पृष्ठ संख्या
1. श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला 1
2. श्रीसाँझी-लीला 27
3. श्रीकृष्ण-प्रवचन-गोपी-प्रेम 48
4. श्रीगोपदेवी-लीला 51
5. श्रीरास-लीला 90
6. श्रीठाकुरजी की शयन झाँकी 103
7. श्रीरासपञ्चाध्यायी-लीला 114
8. श्रीप्रेम-सम्पुट-लीला 222
9. श्रीव्रज-प्रेम-प्रशंसा-लीला 254
10. श्रीसिद्धेश्वरी-लीला 259
11. श्रीप्रेम-परीक्षा-लीला 277
12. श्रीप्रेमाश्रु-प्रशंसा-लीला 284
13. श्रीचंद्रावली-लीला 289
14. श्रीरज-रसाल-लीला 304
15. प्रेमाधीनता-रहस्य (श्रीकृष्ण प्रवचन) 318
16. श्रीकेवट लीला (नौका-विहार) 323
17. श्रीपावस-विहार-लीला 346
18. अंतिम पृष्ठ 369

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