राधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ पृ. 311

श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ

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श्रीरज-रसाल-लीला

श्रीजी-

(दोहा)

छमा करौ अब आज सौं लाल! न तुम सों काम।
मन भावै, ताके भवन रहौ आठ हू जाम।।24।।
श्रीकृष्ण-
बहुत भली, मैं जात हूँ, तुम्हें न मोसौं काज।
धिक जीवन, मन काम हूँ करि छोड़ूँगौ आज।।25।।

[स्यामसुंदर कौ राधे-राधे कहते भवन सौं निकसि बन की ओर भागनौं]

समाजी-

(दोहा)

धूरि न देखी, पिय गयौ, कढ़ि कमान ज्यौं तीर।
श्रीजी- (प्यारे गये? कहाँ गये? चले गये? कहती बिकल होयँ)
ना जानौं कहाँ-कित कहत पलटी अली अधीर।।26।।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

क्रमांक विषय का नाम पृष्ठ संख्या
1. श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला 1
2. श्रीसाँझी-लीला 27
3. श्रीकृष्ण-प्रवचन-गोपी-प्रेम 48
4. श्रीगोपदेवी-लीला 51
5. श्रीरास-लीला 90
6. श्रीठाकुरजी की शयन झाँकी 103
7. श्रीरासपञ्चाध्यायी-लीला 114
8. श्रीप्रेम-सम्पुट-लीला 222
9. श्रीव्रज-प्रेम-प्रशंसा-लीला 254
10. श्रीसिद्धेश्वरी-लीला 259
11. श्रीप्रेम-परीक्षा-लीला 277
12. श्रीप्रेमाश्रु-प्रशंसा-लीला 284
13. श्रीचंद्रावली-लीला 289
14. श्रीरज-रसाल-लीला 304
15. प्रेमाधीनता-रहस्य (श्रीकृष्ण प्रवचन) 318
16. श्रीकेवट लीला (नौका-विहार) 323
17. श्रीपावस-विहार-लीला 346
18. अंतिम पृष्ठ 369

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